मूल में केरल सरकार द्वारा विशेश चिकिस्सा केन्द्र के रूप में स्थापित श्री चित्रा तिरुनाल आयुर्विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी संस्थान को 1980 में संसद के अधिनियम द्वारा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के तहत विश्वविद्यालय की दर्जे के साथ राष्ट्रीय महत्व की संस्था के रूप में परिवर्तित किया । तीन दशकों से पहले अपने संस्थापकों द्वारा चिकित्सा एवं प्रौद्योगिकी की संयुक्त संस्कृति का बीजावपन किया गया था उसे भारत में अभूतपूर्व स्वीकृति मिली । कम ट्रोडन डोमैन के उद्यम की इच्छा के साथ संस्था उच्च स्तरीय मरीज देखभाल, उद्योग संबन्धित तकनॉलजी का विकास, सामाजिक प्रासंगिक के स्वास्थ अनुसंधान अध्ययन आदी पर केन्द्रित है । संस्था इन्टरवेनशनल रेडियॉलजी, कार्डियॉक इलक्ट्रो फिसीयॉलजी, एपिलॉपसी के लिए सर्जरी के पहले मूल्यांकन एवं सर्जरी, मैक्रॉसर्जरी एवं मूवमेण्ड डीसोर्डर डीप ब्रईन स्टिमूलेशन, नई जैवचित्सकीय उपकरण एवं उत्पाद, वैश्विक विनिर्देशन के लिए चिकित्सा उपकरणों के मूल्यांकन, नयी शैक्षिक कार्यक्रम एवं वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य नेटवर्क आदी देश में कम उपलब्ध सूविधाओं की विकास पर ज़ोर देती है ।
संस्था में तीन स्कंध हैं: असपताल, जैवचिकित्सीय प्रौद्योगिकी स्कंध और अच्युत मेनोन स्वास्थ्य विज्ञान अध्ययन केंद्र । यह तीनों केन्द्रों में उच्चतम अनुसंधान एवं अध्यापन सुविधाएँ उपलब्ध है । कॉर्डियॉवासकुलार एवं न्यूरॉलॉजिकल रोग पर जोर देने के साथ साथ ईस अद्विदीय संस्था में उच्च गुणता के जैवचिकित्सा अनुसंधान एवं स्वास्थ प्रौद्योगिकी का विकास के लिए कर्मनिष्ठ वैज्ञानिक, इंजिनीर, क्लिनीशनस आदी के समर्पित टीम है ।